ख़ुशी-ख़ुशी उसे अपना लो, फिर घर की तरह, उसे भी संभालो। ख़ुशी-ख़ुशी उसे अपना लो, फिर घर की तरह, उसे भी संभालो।
कहती तुम्हें नहीं पता वहा कौन रहता है। कहती तुम्हें नहीं पता वहा कौन रहता है।
सुनो दीप ! कुछ उजाला अपने नीचे भी करना शायद यह सूरत बदल जाये और मैं भी कह सकूं- शु सुनो दीप ! कुछ उजाला अपने नीचे भी करना शायद यह सूरत बदल जाये और मैं भी ...
जो नजरों से गिर जाये उसे उठाना नहीं। जो नजरों से गिर जाये उसे उठाना नहीं।
मेरा चांद जो मेरी छत पे रहता है, बातें करता है , बुलाता है मुुुुझे। मेरा चांद जो मेरी छत पे रहता है, बातें करता है , बुलाता है मुुुुझे।
गूँगी नहीं हैं, दीवारें बोलती हैं वो सब जानती हैं. गूँगी नहीं हैं, दीवारें बोलती हैं वो सब जानती हैं.